उत्तराखंड स्थापना दिवस 2020
मेरे प्यारे पाठकों रवि पालीवाल के तरफ से आप सभी को उत्तराखंड स्थापना दिवस के बहुत शुभकामनाएँ
2020 पलायन का दर्द नहीं हुआ कम नहीं हुआ अभी भी , जुल्म ढाने वालों को नहीं मिली अभी तक सजा
जंगली जानवरों ने तबाह करके रख दी पूरी खेती, जान के दुश्मन भी बने जंगली जानवर
9 नवंबर की तारीख को उत्तराखंड के स्थापना दिवस के रूप में इतिहास में दर्ज किया गया है। उत्तराखंड को अलग राज्य की मांग को लेकर कई वर्षों के आंदोलन के बाद 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड को गणराज्य राज्य के रूप में शामिल किया गया।
वर्ष 2000 से 2006 तक इसे उत्तरांचल कहा जाता था, लेकिन जनवरी 2007 में स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इसका नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया। उत्तराखंड, जो उत्तर प्रदेश का हिस्सा है, उत्तर में तिब्बत की सीमा और पूर्व में नेपाल में है। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा वाले राज्य हैं।
वादे झूठे हैं, दावे भी खोखले हैं, फिर भी कुर्सियों पर राजनीति देखिए,देखिए राजनीति ... 'जनकवि बल्ली सिंह' चीमा 'द्वारा लिखी गई ग़ज़ल की ये पंक्तियाँ उत्तराखंड की स्थिति के लिए बिल्कुल सही। एक लंबे सामूहिक संघर्ष और 42 बलिदानों के बाद, विकास कार्य एक अलग राज्य में किया गया था, लेकिन पलायन, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य के सवाल जल रहे हैं। राज्य में बेरोजगारी की दर तीन गुना से अधिक बढ़ गई है।
निर्गमन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के 3946 गाँवों में से, एक लाख 18 हजार 981 लोग स्थायी रूप से और 6338 गाँवों में से 3,83,726 लोग अस्थायी रूप से रोजगार, शिक्षा के लिए पलायन कर चुके हैं। गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मुख्य मांग को दरकिनार करते हुए राज्य आंदोलन में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाई गई है। रामपुर तिराहा, मुजफ्फरनगर और खटीमा की घटनाओं के दोषियों को सजा नहीं मिली है। राज्य आंदोलन के गर्भ से उठने वाले सवालों से आंदोलनकारी निराश हैं।
लेकिन रोजगार और बेहतर शिक्षा और अच्छी सवास्थ्य सुविधा ना होने के कारण प्रवास के कारण, पर्वतीय गाँवों को खाली करने की प्रक्रिया बेरोकटोक जारी है। पहाड़ों में स्वास्थ्य सेवाएं राब होने के कारण लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। बाघ, सुअर, भालू के हमलों में, लोग न केवल अपना जीवन खो रहे हैं, बल्कि इन जानवरों ने कृषि को नष्ट करने का काम किया है। ऑलवेदर सड़कें राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ बनाई जा रही हैं, लेकिन आपदाओं के घाव कम नहीं हो रहे हैं।
राज्य के ये आंकड़े भयावह हैं ...
- केंद्रीय श्रम बल आयोग के सर्वेक्षण में 14.2 प्रतिशत बेरोजगारी दर
- राज्य में 4,69,907 बेरोजगार पंजीकृत हैं
- आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 734 गांव पूरी तरह से खाली हो गए
- 50 प्रतिशत रोजगार और 15 प्रतिशत शिक्षा प्रवास
- अल्मोड़ा के 71 गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की सुविधा नहीं है।
- 80 गांवों से 50% पलायन।
- राज्य में 1072 चिकित्सा अधिकारियों के पद रिक्त हैं, 2735 स्वीकृत हैं।
- 24.6 प्रतिशत स्कूलों में एक ही छात्र-शिक्षक अनुपात है
- 31.50 प्रतिशत स्कूलों में खेलने के लिए मैदान भी नहीं है।
- 7.41 लाख हेक्टेयर पर खेती, बंजर तीन लाख हेक्टेयर।
-150 जल निकाय सूखते हैं और 500 सूखने की कगार पर हैं। NITI Aayog की रिपोर्ट के अनुसार
-12 लाख 45 हजार 472 घरों में पानी का नल नहीं है।
दोस्तों आपका क्या कहना है उत्तराखंड स्थापना दिवस 2020 पर और पलायन को कैसे रोका जा सकता है कमेंट कर के बातये आपकी क्या रॉय है
आज भी उत्तराखडं देव भूमि एक सच्चे ईमानदार नेता की राह देख रहा है 😔😓😔
आप
सभी से निवेदन है
की आप को (Ravi
Paliwal Vlogs) के
माध्यम से उत्तराखंड से
जुड़ी समस्त जानकारी यहाँ पर प्राप्त होगी,आप सब से
निवेदन है की आप
इस पेज को अधिक से
अधिक लोगों तक पहुंचाने की
कृपा करें हमारा
उद्देशय है की उत्तराखंड
की देव संस्कृति का प्रचार प्रसार
समस्त जनमानष तक पहुंचे !!
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