उत्तराखण्ड का लोक पर्व 'फूल-देई' की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ

आप सभी को Ravi Paliwal Vlogs की ओर से उत्तराखण्ड का लोक पर्व 'फूल-देई' की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ , 'फूल-देई उत्तराखंड के प्रमुख त्योहारों में से एक है | 

बसंत का आगमन की रूप में  घर-घर फूल बांटने की परंपरा है फूलदेई ,बसंती उल्लास के पर्व फूलदेई सक्रांति से एक माह तक अनवरत घर की दहलीज को रंग-बिरंगे फूलों की खुशबू से महकाने वाला चैत्र मास आ गया है। उत्तराखंड क्षेत्र में निभाई जाने वाली यह अनूठी रवायत आज भी शिद्दत के साथ निभाई जा रही है।

'फूल-देई' की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ

'फूल-देई' की इस पर्व पर मुझे जो गीत सबसे ज्यादा पसंद है वो है Phulari | Time Machine 2 | Pandavaas यह गीत श्री नरेंद्र सिंह नेगी द्वारा लिखा गया है , और मुख्य गायक कविंद्र सिंह नेगी, अंजलि खरे, अनामिका वशिष्ठ, सुनिधि वशिष्ठ है | आप इस गीत को Download कर सकते है मैंने नीचे लिंक दिया है | 

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                  Folk Festival Of Uttarakhand - फूल देई: एक लोक त्यौहार | Phulari | Pandavaas                       Phulari | Time Machine 2 | Pandavaas | Download Mp3 Garhwali Song

आज तीर्थनगरी ऋषिकेश और हरिद्वार का स्वरूप लगातार आधुनिक शहर की शक्ल में ढलता जा रहा है। शहर की नहीं बल्कि उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्र भी शहरीकरण की छाया से अछूता नहीं रहे है। मगर, बावजूद इसके उत्तराखंडं के गांवों में आज भी कुछ परंपराएं बड़ी शिद्दत के साथ निभाई जा रही हैं। उत्तराखंड में फूलदेई की त्योहार में सक्रांत और पूरे चैत्र मास में घर की देहरी पर फूल डालने की परंपरा  है । बसंत प्राणी मात्र के जीवन में नई उमंग और नई खुशियां लेकर आता है।

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बसंत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है ,बसंत को ऋतु में पेड़ों पर नई कोपलें और डालियों पर तरह-तरह के फूल भी इसी मौसम में खिलती हैं। बसंत के इसी उल्लास और फूल को घर-घर बांटने की एक अनूठी परंपरा गढ़वाल क्षेत्र में पूरे चैत्र मास निभाई जाती है जो फूलदेई सक्रांति से शुरू होकर बैशाखी तक जारी रहती है । 

इस दौरान प्रत्येक परिवार से छोटे बच्चे  आसपास क्षेत्र से  बांस की बनी कंडियों में ताजे फूल इकट्ठे कर लाते हैं और सुबह-सबेरे अपने व आस-पड़ोस के घरों की दहलीज पर इन्हें बिखेर जाते हैं। घरों की दहलीज पर रंग-बिरंगे फूलों की यह महक लोगों को बसंत की खूबसूरती का अहसास तो कराती है

उत्तराखण्ड का लोक पर्व 'फूल-देई' की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ | Folk Festival Of Uttarakhand - फूल देई: एक लोक त्यौहार | Phulari | Time Machine 2 | Pandavaas |

तीर्थनगरी ,ऋषिकेश के आसपास के गांव जैसे की  श्यामपुर, गुमानीवाला ,ढालवाला, चौदहबीघा, तापोवन, खदर, छिद्दरवाला,रायवाला, हरिपुरकलां तथा भट्टोवालाआदि गांवों में यह परंपरा आज भी जीवित है। आज की नई पीढ़ी को भी इस परंपरा के बारे में पता होना चाहिए, बहुत ख़ुशी की बात है की छोटे बच्चे आज भी उत्तराखंड तीर्थनगरी ऋषिकेश में फूलदेई में घर-घर बसंत का उल्लास और फूल बांटने की परंपरा को निभा रहे है। 

फूलदेई के शुभ अवसर पर नन्हें बच्चों की जुबां से फूल देई-छम्मा देई, दैंणि द्वार- भर भकार,यौ देली कैं बार-बार नमस्कार ,का गीत भी गुनगुनाया जाता है 


उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में फूलदेई की यह बहुत पुरानी परंपरा है। फूलदेई को बसंत के आगमन से जोड़कर देखा जाता है। बच्चे और फूल दोनों खुशहाली का प्रतीक माने जाते हैं, इसलिए उत्तराखंड में बच्चों के हाथों ही इस परंपरा का निर्वाहन किया जाता है। यह बहुत बड़ी बात है कि जहां हम अपने संस्कार व परंपराओं को भूलते जा रहे हैं वहीं ऋषिकेश जैसा शहर फूलदेई संस्कृति को जिंदा रखे हुए है।

आज भले ही हम लोग उत्तराखंड से पालयन कर चुके है है, परंतु हमें अपनी उत्तराखंड देवभूमि की संस्कृति को भूलना नहीं चाहिए |  Ravi Paliwal Vlogs की तरफ से यह एक छोटा सा प्रयास हमेशा रहेगा की आप लोगो तक उत्तराखंड की संस्कृति की महक पहुंचती रहे |  Ravi Paliwal Vlogs का मुख्य लक्ष्य यही है की ज्यादा से ज्यादा लोग देवभमि उत्तराखंड से जुड़े , अपने गांव से जुड़े और पूरी दुनिया में उत्तराखंड की खूबसूरती का विस्तार हो | 

दोस्तों जो भी यह पोस्ट को पढ़ रहा है आप जरूर मुझे बातये कमेंट कर के की आप उत्तराखंड में कौन से जिले से है ? आप को उत्तराखंड कैसे लगता है ? और आप बचपन में  'फूल-देई' का यह खूबसूरत पर्व कैसे मानते थे ? आपसे अनुरोध है की,अपनी कुछ पुरानी यादें हमारे साथ साझा करें | 

Folk Festival Of Uttarakhand - फूल देई: एक लोक त्यौहार

आप सभी से निवेदन है की आप को (Ravi Paliwal Vlogs) के माध्यम से उत्तराखंड से जुड़ी समस्त जानकारी यहाँ पर प्राप्त होगी,आप सब से निवेदन है की आप इस पेज को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की कृपा करें  हमारा उद्देशय है की उत्तराखंड की देव संस्कृति का प्रचार प्रसार समस्त जनमानष तक पहुंचे !!


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