Dhol Damo | dhol damau | जबरदस्त ढोल-दमाऊ मंडाण 

नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है रवि पालीवाल व्लॉगस में आज हम बात करेंगे इस ब्लॉग में ढोल-दमाऊ के बारे में,ढोल और दमाऊं उत्तराखंड के सबसे प्राचीन समय का  वाद्ययंत्र हैं। यह  "मंगल यंत्र" के रूप में भी जाना जाता है।ढोल और दमाऊं शुरू में युद्ध के मैदान पर सैनिकों के बीच उत्साह पैदा करने के लिए प्रयोग किए गए थे। ढोल-दमाऊं के वाद्ययंत्रों की गूँज के बिना पहाड़ की शुभसांस्कृतिक  कार्यकर्म  अधूरे थे।

 15 वीं शताब्दी में ढोल को भारत लाया गया था। ड्रम पश्चिम एशियाई मूल का है। इइन--अकबरी में पहली बार ढोल का उल्लेख किया गया  है। इसका अर्थ है कि सोलहवीं शताब्दी के आसपास गढ़वाल में ढोल की शुरुआत की गई थी। ढोल दमाऊं को पारंपरिक नामों जैसे औजी, धोली, दास या बाजी आदि से भी पुकारा जाता है। औजी वास्तव में भगवान शिव जी  का नाम है। एक पहाड़ी राज्य होने के नाते, उत्तराखंड में कई प्रशंसाएं हैं। जिन्होंने अपनी लकड़ी की संरचनाओं के भीतर पहाड़ियों की गूँज पैदा की है।  

नीचे वीडियो मैंने दिया है आप सभी से मेरा अनुरोध है की यह वीडियो जरूर देखें इस वीडियो में जबरदस्त ढोल-दमाऊ मंडाण देखंगे जो को आपको नाचने में मजबूर कर देगा। यह ढोल-दमाऊ मेरे गावं कोटी टिहरी गढ़वाल से है.

सभी उत्तराखंड प्रेमी लोगों के लिए मेरा यह ब्लॉग है और YouTube पर मेरा चैनल है Ravi Paliwal Vlogs के नाम से आप सभी Subscribe जरूर करें, मेरे YouTube चैनल पर आपको देखने को मिलेंगे उत्तराखंड की संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी. 



जैसे की आपको पता है में टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड का रहने वाला हूँ , में उत्तराखंड देव भूमि से अत्यधिक प्रेम करता हूँ इसलिय रवि पालीवाल व्लॉगस को आप सभी के लिए बनया है की आप अपने उत्तराखंड से जुड़े रहें।

आप को बता दूँ मुझे तो D.J से ज्यादा ढोल-दमाऊ में नाचना पसंद है,ढोल-दमाऊ का अपना एक अलग ही मज़ा है यार कसम से अगर आप गढ़वाली हो आप इस बात को अच्छे से महसूस कर पा रहे होंगे। 

सच बोलू आपसे तो मेरी तो सारी थकान ही गायब हो जाती ढोल-दमाऊ मंडाण सुने के बाद ,गर्व है मुझे की मैंने देव भूमि में जन्म लिया। ऐसे अद्भुत संस्कृति का अनुभव ही एक बहुत सुन्दर आनंद का पल है मेरे लिए आप सभी को  बहुत बधाई जो भी उत्तराखंड देव भूमि से आज भी जुड़ा है.

मैं आशा करता हूँ आपको यह ब्लॉग पसंद आया होगा बस अपने दिल के बाते आपसे शेयर करी है मैंने ,जैसे के ऊपर आप सब ने ढोल-दमाऊ का छोटा सा परिचय पढ़ा , आप क्या जानते है ढोल-दमाऊ के बारे में आप कमेंट कर जरूर बातए और इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा गढ़वाली लोगो को शेयर करें 



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