क्या आप जानते हैं उत्‍तराखंड में 7 फरवरी को अचानक बाढ़ क्‍यों और कैसे आई ?

  

दोस्तों जैसे की आप जानते ही है की 7 फरवरी 2021 को जल प्रलय का सामना करना पड़ा | दोस्तों में भी उत्तराखंड से हूँ और उत्तराखंड की भूगोलिक संरचना को अच्छे से जानता हूँ | उत्तराखड को देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है | परन्तु केदार नाथ  में 2013 में आई प्रलय के बाद से ही आज 2021 तक लगातार हर वर्ष जल प्रलय के ख़बर उत्तराखंड से आती रहती हैं.

7 फरवरी 2021 को जब यह ख़बर सुनी तो दिल सहम सा गया की इतनी बड़ी प्रलय कैसे आ गई | आपने न्यूज़ में और सोशल मीडिया पर देख ही लिया था की ऋषि गंगा और धोली गंगा का रूप कितना विशाल था | जिसने भी ऋषि गंगा और धोली गंगा का यह रूप देखा बहुत विचलित हो उठा.

चमोली उत्तराखंड में अचनाक आई इस बाढ़ से लोग समझ नहीं पाए की एक दम से इतना तेज़ पानी का बहाव कैसे और क्यों आया, ग्लेशियर टूटने से अलकनंदा और इसकी सहायक नदियों में अचानक आई बाढ़ के कारण भारी तबाही आई है. 

तपोवन-रैणी में स्थित पॉवर प्लांट

इस प्रलय में तपोवन-रैणी में स्थित पॉवर प्लांट पूरी तरह से बह गया और उसमें काम कर रहे 200 मजदुर लापता हो गए है | अभी तक 30-40 लोगों के शव निकला जा चुका है | 150 से ज्यादा अभी तक लापता है | NDRF,SDRF  और ITBP की टीम बचाव कार्य में लगे है | चमोली में आई इस बाढ़ के दौरान बहुत सारा मलबा आने से तपोवन टनल में कई मजदूर दब गए हैं। इंडियन आर्मी की टीम टनल में जो लोग फंसे है उनका रेस्क्यू करने में जुटे हैं.


उत्‍तराखंड में 7 फरवरी को अचानक बाढ़ क्‍यों और कैसे आई ?

सरकार ने 7 फरवरी 2021 को आई जल प्रलय की जांच करने के लिए वैज्ञानिकों की टीम चमोली भेजी, जांच के बाद WIHG के डायरेक्‍टर कलाचंद साईं ने बतया की  "हमारे शुरुआती निष्‍कर्ष के मुताबिक रविवार की घटना रॉक मॉस फेल्‍योर जिसे  (चट्टान का फिसलना) कहा जाता है और रौंठी ग्‍लेशियर इलाके में एक हैंगिंग ग्‍लेशि‍यर (ऐसा ग्‍लेशियर जो एक चट्टान के बीच में रुक जाता है) यह प्रलय उसका का नतीजा है। घटना का मूल दो चोटियों- रौंठी और मृगथूनी के पास हुआ था.
वैज्ञानिकों की मानें तो, संभव है कि एक चोटी, भारी और ठोस स्‍ट्रक्‍चर, प्राकृतिक कारणों से टूटकर अलग हुआ होगा और अपने नीचे जो ग्‍लेशियर था उस पर गिर गया जो की समुद्रतल से करीब 5,600 मीटर की ऊंचाई पर था।
ऐसा होना से पानी,बर्फ , मिटी की चटानों का मिस्रण 37 डिग्री की ढलान से नीचे के तरफ आया और 3,600 मीटर की ऊंचाई पर रौंथी गधेरा की धारा से टकराया | पानी,बर्फ , मिटी की चटानों का मिस्रण जब 3 KM नीचे आया तेज़ी से पुरे तपोवन जल प्रलय ले कर आया.

आपदा आने में दशकों लग जाते है एकदम से नहीं आती इतनी बड़ी प्रलय !

वैज्ञानिकों का कहना है की इतने बड़ी आपदा आने में दशकों लग जाते है | उत्तराखंड केदार नाथ में आई महाप्रलय भी कोई एक दिन का नतीजा नहीं है | उत्तराखंड में यह आपदा भी आने में काफी समय लगा है | धीरे धीरे एक चोटी, भारी और ठोस स्‍ट्रक्‍चर कमजोर होता चला गया और फिर वह टूट कर ग्‍लेशियर पर गिरता है तब ग्‍लेशियर  टूट कर भयानक बाढ़ का रूप ले लेती है.

भविष्य में उत्तराखंड में जगह जगह बने बांध भी आपदा का कारण बन सकते है | 


जी हाँ अपने सही पढ़ा ,आप भी जानते है उत्तराखंड में जगह जगह बांध बन चुके है जिसमे की सबसे बड़ा नाम टिहरी डैम का है | बांध बिजली पैदा करने की लिए बनाये जाते है पर अगर भगवान न करे कोई बड़ी प्रकर्ति आपदा आये और बाँध टूट जाये आप अंदजा लगा सकते है की कितन बड़े स्तर पर उत्तराखंड में तबाई मच सकती है.

हम आपको बता दें की टिहरी बाँध भारत का सबसे ऊँचा तथा विशालकाय बाँध है। यह भागीरथी नदी पर 260.5 मीटर की उँचाई पर बना है। टिहरी बांध दुनिया में आठवाँ सबसे बड़ा बाँध है अब जिसका उपयोग सिंचाई तथा बिजली पैदा करने के लिए किया जाता है.

वैज्ञानिकों का कहना है की टिहरी बाँध के टूटने के कारण ऋषिकेश, हरिद्वार, बिजनौर, मेरठ और बुलंदशहर इसमें पुरे तरह से जलमग्न हो जाएँगे। मनुष्य ने पहाड़ को अपने सुख सुविधा के कारण कमजोर बना दिया है | जगह जगह डैम और रोड बना कर | जंगलो को साफ़ कर के पर्यावरण को काफी नुकसान होता है ,बांधो से बहुत ज्यादा पर्यावरणीय नुकसान भी होता है.

भारतीय वायु सेना का हेलीकॉप्टर श्रीनगर पहुंचा

भारतीय वायु सेना का हेलीकॉप्टर श्रीनगर पहुंच गया है,नेवी कमांडो को भी बचाव कार्य में लगया गया है, कमांडो श्रीनगर की झील में लापता लोगों की तलाश करेंगे। जिला आपदा प्रबंधन विभाग, एसडीआरएफ और मरीन कमांडो श्रीनगर उत्तराखंड में संयुक्त अभियान चलाएंगे.



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