उत्तराखंड सरकारी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत के लिए क्या आधार है ?
दोस्तों आपका स्वागत है मेरे इस ब्लॉग में | आज हम बात कर रहे है उत्तराखंड सरकारी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत के लिए आधार क्या-क्या आधार हैं | जैसे की आप जानते ही है उत्तराखंड में कितनी अच्छी सरकारें आई है उत्तराखंड का आज तक विकास नहीं हो पाया है क्यूंकि सरकारी तंत्र कभी मजबूत नहीं रहा |
नीचे मै आपको उस Website का लिंक दूंगा जिस पर जा कर आप शिकायत दर्ज करवा सकते है जो भ्रष्टाचार और अपने सरकारी पद के दुरूपयोग कर रहे हैं | ध्यान रहे शिकायत दर्ज करवाने से पहले आप उनके नियम को पढ़ ले | सारे नियम आपको vigilance.uk.gov.in पर देखने को मिल जाएँगे |
उत्तराखंड राज्य में सतर्कता अधिष्ठान का गठन उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान अधिनियम 1965) अनुकूलन एवं उपान्तरण आदेश, 2002 के द्वारा राज्य सरकार द्वारा किया गया है। सतर्कता अधिष्ठान एक विशेष पुलिस बल है जो की राज्य सरकार के लोगों द्वारा भ्रष्टाचार और पद के दुरूपयोग सम्बन्धी शिकायतों की जांच करता है और उनके खिलाफ एक्शन लेते है।
शिकायत के लिए Website : http://vigilance.uk.gov.in
सारे नियम पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें : http://vigilance.uk.gov.in/about-vigilance
आप शिकायत दर्ज करवा सकते है जो भ्रष्टाचार और अपने सरकारी पद के दुरूपयोग कर रहे हैं
1. यदि आपको लगता है और दिखता सरकार को भ्रष्टाचार, रिश्वत, दुराचार, दुर्व्यवहार और अन्य अनाचार करता है तो आप सभी मामलों से सरकार को अवगत करा सकते है , जिसमें लोक सेवक शामिल हैं, जो इसके संज्ञान में आते हैं।
2. देहरादून और हल्द्वानी के सतर्कता क्षेत्रों को पुलिस स्टेशन घोषित किया गया है जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामले दर्ज कर सकते हैं और करते हैं। सभी जांच आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 के प्रावधानों के अनुसार की जाती हैं। निम्नलिखित अपराध और अपराध के वर्ग हैं जिनकी जांच उत्तर प्रदेश सतर्कता प्रतिष्ठान द्वारा की जा सकती है
3. किसी व्यक्तिगत लोक सेवक या विभाग, वर्ग या श्रेणी से संबंधित लोक सेवकों के भ्रष्टाचार से संबंधित सतर्कता विभाग में सरकार के आदेशों पर या उसके आदेश पर खुफिया जानकारी एकत्र करें
4. भ्रष्टाचार, रिश्वत, दुराचार, दुर्व्यवहार या अन्य दुर्भावनाओं के मामलों में पूछताछ, रहस्य या खुला बनाना, जो कि सतर्कता विभाग में सरकार के समय-समय पर इसे संदर्भित किया जा सकता है।
गुप्त इंक्वायरी: संबंधित अभियुक्त अधिकारी से संपर्क किए बिना दस्तावेजों के आधार पर लगाए गए आरोपों का गुप्त सत्यापन
ओपन इंक्वायरी: आरोपों के साथ-साथ मौखिक साक्ष्यों के आधार पर पूछताछ की गई।
5. निम्नलिखित मामलों में शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है और उन्हें जमा नहीं किया जाएगा, जब तक कि किसी विशेष कारणों के लिए सतर्कता के निदेशक सरकार को आगे भेजने का फैसला नहीं करते हैं:
(i) अनाम और छद्म नाम की शिकायतें
(ii) मुद्रित हैंडआउट, पर्चे आदि, जिनकी प्रतियां सरकार के कई अधिकारियों को भेजी गई हैं
(iii) शिकायतें जो हैं, प्राइमा फेशियल, फालतू होंगी
आपका कोई भी सवाल हो आप कमेंट में पूछ सकते है | इस न्यूज़ को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें | आप
सभी से निवेदन है
की आप को (Ravi
Paliwal Vlogs) के
माध्यम से उत्तराखंड से
जुड़ी समस्त जानकारी यहाँ पर प्राप्त होगी,आप सब से
निवेदन है की आप
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अधिक लोगों तक पहुंचाने की
कृपा करें हमारा
उद्देशय है की उत्तराखंड
की देव संस्कृति का प्रचार प्रसार
समस्त जनमानष तक पहुंचे !!
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